केंद्रीय आयुष, बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार ने देश भर में अधिक संख्या में आयुष शिक्षण कॉलेज खोलने के लिए वित्तीय सहायता को नौ करोड़ रुपए से बढ़ाकर 70 करोड़ रुपए कर दिया है। केन्द्रीय मंत्री शनिवार को गुवाहाटी में आयुष मंत्रालय द्वारा ‘आयुष प्रणालियों में विविध और पूर्ण करियर पथ: पूर्वोत्तर राज्यों में शिक्षा, उद्यमिता और रोजगार पर फोकस’ पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

इस अवसर पर उन्हने  ने कहा कि उत्तर-पूर्व में आयुष की शिक्षा देने वाले कॉलेज अपेक्षाकृत कम हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को लोकप्रिय बनाने के लिए ज्यादा संख्या में योग्य चिकित्सकों की जरूरत है। इस तथ्य के मद्देनजर पूर्वोत्तर राज्यों में अधिक संख्या में आयुष शिक्षण कॉलेजों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इससे पहले राष्ट्रीय आयुष मिशन की केंद्र प्रायोजित योजना के तहत राज्य सरकारों को नए आयुष कॉलेज खोलने के लिए 9 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की गई थी। अब भारत सरकार ने इस राशि को बढ़ाकर 70 करोड़ रुपए कर दिया है। उन्होंने कहा कि अब राज्य नए कॉलेजों की स्थापना के लिए भूमि की पहचान कर सकते हैं, मानव संसाधन जुटा सकते हैं और ‘एनएएम’ के दिशानिर्देशों के अनुसार इस अवसर का लाभ उठा सकते हैं।

उन्होने ने कहा कि आयुष मंत्रालय ने असम स्थित सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेज, जलुकबाड़ी को 10 करोड़ रुपए तक की सहायता से उत्कृष्टता केंद्र के रूप में उन्नत करने की सैद्धांतिक मंजूरी भी दे दी है। उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय ने अंडर ग्रेजुएट टीचिंग कॉलेजों को अपग्रेड करने के लिए 5 करोड़ और पोस्ट ग्रेजुएट संस्थानों के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए 6 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं।

इस मौके पर सोनोवाल ने केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई), गुवाहाटी में स्वास्थ्य क्षेत्र कौशल परिषद – राष्ट्रीय कौशल विकास निगम से संबद्ध पंचकर्म तकनीशियन पाठ्यक्रम शुरू करने की भी घोषणा की। इसके तहत 10 + 2 स्तर के छात्रों के लिए 10 सीटें रखी गई हैं। इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र में पंचकर्म चिकित्सा के लिए कुशल मानव संसाधन तैयार करने और रोजगार के अवसरों में वृद्धि करने में मदद मिलेगी।

सम्मेलन संबोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में आयुष क्षेत्र में सभी विषयों के पेशेवरों के लिए करियर के अवसरों में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि हुई है। इसके अलावा, इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, दुनिया भर के समुदायों के बीच आयुष प्रणाली में विश्वास भी बढ़ा है। उन्होंने कहा कि आयुष में बड़ी संख्या में लोगों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने और इस देश के विकास में योगदान करने की क्षमता है।

इस सम्मेलन की शुरुआत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करने के साथ हुई। इसके बाद आयुष मंत्रालय के संयुक्त सचिव डी. सेंथिल पांडियन ने उद्घाटन भाषण दिया। इसी क्रम में आयुष प्रणाली के विशेषज्ञों और संस्थानों के प्रमुखों ने आयुष क्षेत्र में उपलब्ध शिक्षा, करियर के अवसरों और उद्यमशीलता के विकल्पों पर विस्तृत प्रस्तुतिया दीं।

इसी तरह, ‘यूनानी में अनुसंधान शिक्षा और कैरियर के अवसर’ पर एक व्याख्यान प्रो. असीम अली खान, महानिदेशक, सीसीआरयूएम, नई दिल्ली द्वारा दिया गया। ‘सिद्धा में अनुसंधान शिक्षा और कैरियर के अवसर’ विषय पर व्याखयान प्रो. डॉ. के. कनकवल्ली, महानिदेशक, सीसीआरएस, चेन्नई द्वारा दिया गया।  डॉ. पद्म गुरमीत, निदेशक, एनआरआईएस, लेह ने ‘सोवा-रिग्पा में अनुसंधान शिक्षा और कैरियर के अवसर’ पर व्याख्यान दिया जबकि ‘योग और प्राकृतिक चिकित्सा में अनुसंधान शिक्षा और कैरियर के अवसर’ विषय पर डॉ. राघवेंद्र राव, निदेशक, केंद्रीय योग और प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने अपना व्याख्यान दिया।

इस सत्र के बाद आयुष उद्योग के प्रतिनिधियों ने ‘कैरियर अवसर और उद्यमिता: उद्योग परिप्रेक्ष्य’ पर प्रस्तुति दी, जिसके बाद उत्तर पूर्वी राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों के आयुष छात्रों और विद्वानों के साथ संवाद सत्र हुआ। इस सम्मेलन में आयुष मंत्रालय, आयुष संस्थानों और अनुसंधान परिषदों और पूर्वोत्तर राज्यों के आयुष कॉलेजों के अधिकारियों सहित लगभग 250 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

स्रोत