केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने क्षय रोग के उन्मूलन के बारे में ध्यान केन्द्रित किए जाने पर अपनी खुशी व्यक्त करत हुए यह सुझाव दिया कि इस बारे में नियमित रूप से लगातार बातचीत की जाए ताकि राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की सर्वोत्तम परेशानियों पर चर्चा की जा सके और उनका अनुकरण भी किया जा सके। इनसे आम नीतियों पर ध्यान केंद्रित करने और प्रभावी रूप से कार्यान्वयन करने के साथ-साथ लक्ष्यों को सामूहिक रूप से अर्जित करने में काफी योगदान मिलेगा। उन्होंने कहा कि समन्वित और सहयोगात्मक प्रयास साझा लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

उन्होंने कहा कि हमें टीबी उन्मूलन के इस मिशन में आम आदमी को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इसे जन पहल बनाना होगा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने के प्रधानमंत्री के सपने को पूरा करने के इस मिशन में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के सभी सुझावों के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कोविड के सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अन्य कार्यक्रमों और पहलों के बारे में सुझाव देने के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को प्रोत्साहित किया।

सहकारी संघवाद की रूपरेखा का आह्वान करते हुए स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉक्टर पवार ने अगले तीन वर्षों के दौरान टीबी का उन्मूलन करने के हमारे प्रयासों को कई गुना करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कोविड महामारी के दौरान टीबी और कोविड की दोहरी-दिशात्मक जांच और टीबी दवाओं की घर पर आपूर्ति करने जैसे विभिन्न कदमों की सराहना की। उन्होंने स्वास्थ्य प्रशासन की पूरी टीम को व्यापक सक्रिय मामलों का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित किया और कहा, “जन-जन को जगाना है, टीबी को भगाना है।”

इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले टीबी कार्यक्रम के साथ काम करने वाले सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने पिछले कुछ वर्षों में अपने काम के प्रभाव के बारे में जानकारी देत हुए वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन के लिए आंदोलन करने की अपनी योजनाओं को भी साझा किया।

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