वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार भारत ने पिछले सात वर्षों में पेटेंट के अनुदान में 572 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। और ये वृद्धि साल 2013-14 के दौरान 4,227 अनुदानों की तुलना में 2020-21 में 28,391 पेटेंट दिए गए। पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए उन्होने ने सभी विजेताओं को बधाई दी और आशा व्यक्त की कि वे भविष्य में भी इस तरह के अनुकरणीय कार्य करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि ये पुरस्कार वास्तव में विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि शिक्षा से लेकर स्टार्ट-अप तक के योगदान के साथ समावेशी थे। और यह पुरस्कार न केवल व्यक्तियों और संस्थानों के नवीन विचारों को पहचानता है बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा का काम भी करता है।

इससे  देश में समावेशी प्रगति और आईपीआर कानूनों को मजबूत करने के लिए आईपी क्रांति लाने की जरूरत है।, रोजगार सृजन, गुणवत्ता, प्रतिस्पर्धा और विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा। आज प्रौद्योगिकी और विचार विकास के दोहरे इंजन हैं, बौद्धिक संपदा अधिकार आईपीआर वह ईंधन है जो उन्हें शक्ति प्रदान करता है। इससे रोजगार सृजन, गुणवत्ता, प्रतिस्पर्धा और विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा। बौद्धिक संपदा में जीवन बदलने और अरबों लोगों की आजीविका बनाने की अपार शक्ति और क्षमता है।

जिस प्रकार हम सभी जानते है कि  भौगोलिक सीमाएं हमारे देश के हितों की रक्षा करती हैं, उसी प्रकार बौद्धिक संपदा हमारे देश की संभावनाओं का संरक्षक है।, बौद्धिक संपदा देश की प्रगति की आधारशिला है और हमारे युवाओं की प्रतिभा को प्रदर्शित करती है। यह स्टार्ट-अप इंडिया, मेक इन इंडिया और डिजाइन इन इंडिया की सफलता की कुंजी है। उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री के मार्गदर्शन में, भारत ने एक मजबूत आईपीआर व्यवस्था और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में काफी प्रगति की है।

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