श्री चित्रा तिरुनाल आयुर्विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान में भारत के पहले ‘नेशनल हार्ट फेल्यर बायोबैंक’ का उद्घाटन किया गया, जो हृदय गति रुकने के मरीजों के रक्त के नमूने, बॉयोप्सी के नमूने और नैदानिक आंकड़े एकत्र करेगा और उनके इलाज में मददगार भावी उपचारात्मक पद्धतियों का मार्गदर्शन करेगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

विभाग ने बताया कि यह केंद्र कोविड-19 संक्रमण के बाद हृदय गति रुकने के मामलों संबंधी अनुसंधान और उपचार के लिए उपयोगी होगा। परियोजना के प्रधान अनुसंधानकर्ता और एससीटीआईएमएसटी में हृदय रोग विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. हरिकृष्णन एस ने बताया कि भंडारण सुविधाओं में शून्य से 20 डिग्री नीचे से लेकर शून्य से 80 डिग्री नीचे तापमान के यांत्रिक फ्रीजर और एक तरल नाइट्रोजन भंडारण प्रणाली शामिल है, जो जैव-नमूने को शून्य से 140 डिग्री नीचे के तापमान पर लगातार कई वर्षों तक संग्रहीत करके रख सकती है। वर्तमान में, लगभग 25,000 जैव-नमूनों को संग्रहीत करने की सुविधा है।

जैव-नमूनों में रक्त, सीरम, ‘ओपन-हार्ट सर्जरी’ के दौरान प्राप्त ऊतक के नमूने और हृदय गति रुकने के मरीजों के एकत्र जीनोमिक डीएनए और ‘पेरिफेरल ब्लड मोनोन्यूक्लियर सेल‘ (पीबीएमसी) शामिल हैं। बायोबैंक गतिविधि की निगरानी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक सदस्य और एक तकनीकी सलाहकार समिति (टीएसी) करती है। इच्छुक मरीजों की सहमति से इन नमूनों को एकत्र किया जाता है।

संग्रहीत और सूचीबद्ध नमूनों को ईसीजी जैसे इमेजिंग डेटा, इकोकार्डियोग्राफी एमआरआई जैसे नैदानिक डेटा से जोड़ा जाएगा। हृदय गति रुकने से संबंधित मामलों के अनुसंधान में रुचि रखने वाले अनुसंधानकर्ता और चिकित्सक टीएसी और एससीटीआईएमएसटी की आचार समिति द्वारा प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद एससीटीआईएमएसटी से सहयोग ले सकते हैं।

विभाग ने कहा कि हृदय गति रुकने संबंधी समस्या भारत में बड़ी स्वास्थ्य चिंता के रूप में उभर रही है। ऐसे में आईसीएमआर ने इस क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ाने के लिए एससीटीआईएमएसटी में‘ नेशनल सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड एक्सीलेंस इन हार्ट फेल्यर’ शुरू किया है। ‘हार्ट फेल्यर बायोबैंक इस परियोजना का बड़ा हिस्सा है, जिसके लिए 85 लाख की निधि आवंटित की गई है।

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