एनआई के अनुसार

आदिवासी जिले डांग के नदगखड़ी गांव में 10 महिलाओं का एक स्वयं सहायता समूह एक बेकरी चलाते हैं, जिसे उन्होंने चार साल पहले पैसा बचत करके शुरू किया था। अपनी सारी मेहनत के बाद, अब ‘अपना बेकरी’ नाम की बेकरी खड़ी है जो रागी आधारित पके हुए भोजन बेचती है। ‘बेकरी सिस्टर्स’ के रूप में लोकप्रिय युवतियों का समूह कई लोगों के लिए प्रेरणा बन गया है। अपना बेकरी की गर्वित कल्पना गायकवाड़ ने एएनआई से बात करते हुए कहा, “जब हमने बेकरी शुरू की तो हम आटे के बिस्किट बनाते थे, लेकिन यहां काम करने वाली महिलाओं ने रागी का खाना बनाना शुरू करने का सुझाव दिया।

उन्होंने बताया कि रागी धान में उगाई जाने वाली मुख्य फसल है जिसमें प्रोटीन और कई अन्य विटामिन होते हैं। हमने सब इसी से कमाया है। हम बेकरी में काम करने वाली महिलाओं की दैनिक मजदूरी देते हैं उसके बाद बेकरी के लिए और अधिक सामग्री खरीदने के लिए बचत भी करते हैं। उनका बेकरी उत्पाद गुजरात के अलग अलग क्षेत्रों के साथ-साथ राज्य से बाहर भी भेजे जाते हैं। प्रमुख रूप से सूरत, सापुतारा, अहमदाबाद और मुंबई में भेजे जाते हैं। बेकरी का नेतृत्व करने वाली महिला अन्य चीजों के अलावा नानखताई, चकरी, टोस्ट और पापड़ का भी उत्पादन करती हैं। बेकरी में काम करने वाली अन्य कर्मचारी भी महिलाएं ही हैं। जो दिहाड़ी मजदूर हैं। जो प्रतिदिन 200 रुपये कमाती हैं। पहले उनको  100 रुपये की दैनिक मजदूरी मिलती थी। पहले हमें पैसों की दिक्कत होती थी और हमें अपने पतियों से पैसे मांगने पड़ते थे, लेकिन अब हम आत्मनिर्भर हैं।

एनआई की रिपोर्ट के अनुसार, ये महिलाएं रिडवी सिदवी स्वयं सहायता समूह से संबंधित हैं और 2011 से एक-दूसरे को जानती हैं और महीने में कम से कम एक बार सामूहिक बचत के लिए मिलती हैं। सरकार की सखी मंडल योजना के तहत सहायता समूह का गठन किया गया और गांव में एक ग्राम सभा का आयोजन किया गया है। जिसमें आगा खान एनजीओ द्वारा गांव स्तर के व्यवसायों की जानकारी दी गई।  इसके तुरंत बाद, गांव की कुछ महिलाओं को व्यवसाय में दिलचस्पी हो गई और अधिक जानकारी के लिए एनजीओ से संपर्क किया। इन महिलाओं की रुचि को देखते हुए अन्य सफल ग्रामीण उद्योगों के भ्रमण का आयोजन किया गया ताकि उन्हें और अधिक जागरूक बनाया जा सके। अपने दौरे के बाद महिलाओं ने शुरुआती दौर में सिलाई शुरू करने की इच्छा जताई।

आज अपनी इस पहल से वो आत्मनिर्भर हैं। वो अपनी आजीविका के साथ-साथ अपने साथ के लोगों को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं।

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