जैव प्रौद्योगिकी विभाग-जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (डीबीटी-डीबीटी-बीआईआरएसी) से -वित्त पोषित जीवट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड ने हाथ से चलाए जा सकने वाले जेनरेटर और सीधी विद्युत आपूर्ति पर काम करने में सक्षम (हैंड-क्रैंक ड्यूल पावर्ड -ग्रिड+हैंड क्रैंक्ड) डिफ्रिब्रिलेटर सन्मित्र 1000 एचसीटी को विकसित किया है। विशेषज्ञ पारंपरिक डिफाइब्रिलेटर की तुलना में सस्ती, कम वजन वाले उपकरण को अधिक विश्वसनीय मानते हैं क्योंकि इसका उपयोग उन क्षेत्रों में भी किया जा सकता है जहां बिजली उपलब्ध नहीं होती है।
इसकी अनेक विशेषता इस प्रकार हैं।
* कम भार (वज़न) वाला
* बिना बिजली वाले क्षेत्रों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है
* इसमें किसी तरह की भी बैटरी बदलने की आवश्यकता नहीं है
* ह्रदय गति (दिल की धड़कन) की दर अथवा उसके सामान्य/असामान्य होने की समस्या से पीड़ित कोविड -19 रोगियों के इलाज में भी उपयोगी साबित हो सकता है
* शहरी और दूरस्थ क्षेत्र के अस्पतालों के लिए आदर्श
* इसका इन-बिल्ट जनरेटर की इसे पारंपरिक डिफिब्रिलेटर की तुलना में अधिक लाभप्रद बना देता है
* इसे भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका में चार पेटेंट हो चुके हैं
जीवट्रॉनिक्स, एक आईएसओ 13485 प्रमाणित कंपनी है, जिसे पहले ही अमेरिका और भारत में चार पेटेंट प्राप्त हो चुके हैं और इसे जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआइआरएसी) द्वारा पूर्व में बीआईजी और आईआईपीएमई (प्रारंभिक संक्रमण चरण) की योजनाओं के तहत वित्तीय रूप से सुविधा प्रदान की गई थी। सन्मित्र 1000 एचसीटी को चिकित्सा के लिए अंतरराष्ट्रीय आईईसी मानकों के अनुरूप डिज़ाइन किया गया है। स्टार्टअप द्वारा जारी सूचना के अनुसार उपकरण और पेटेंट प्रौद्योगिकी की लागत भारतीय रुपयों में 99,999+ कर है, जो कि बड़े ब्रांडों का की लागत का एक चौथाई (1/4) है। इन डिफाइब्रिलेटर्स को आमतौर पर चेस्ट कंप्रेशन (सीपीआर) की स्थिति में उपयोग के लिए वरीयता दी जा सकती है I यहां तक कि कोविड-19 के ऐसे रोगियों के इलाज में भी उपयोगी साबित हो सकता है जो दिल की धड़कन की दर या स्थिति से संबंधित समस्याओं (अरिथमियास) से पीड़ित हैं।
स्टार्ट-अप के अनुसार उन्होंने एकमात्र मेक-इन-इंडिया “एम्बुलेंस ग्रेड” डिफिब्रिलेटर भी विकसित किया है जिसका नाम जीवट्रॉनिक्स सन्मित्र 1000 एचसीटी ईएमएस है और जिसका एआरएआई में परीक्षण किया गया है और इसकी कीमत बहुराष्ट्रीय ब्रांडों की लागत से बहुत कम होगी। एक गैर-लाभकारी सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम, जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया है, जो विकसित जैव प्रौद्योगिकी उद्योग को बढ़ाने और प्रोत्साहित करने के लिए एक इंटरफेस एजेंसी के रूप में कार्य करता है। और जिसका कार्य राष्ट्र की उत्पाद विकास आवश्यकताओं के संबंध में रणनीतिक अनुसंधान और विकास गतिविधियों को लागू करना है ।