रेल यात्रियों और रेलवे की संपत्तियों की सुरक्षा के लिए भारतीय रेल के की प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में एक है। यात्रियों की सुरक्षा और संरक्षा के अतिरिक्त रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने कोविड-19 के दैरान भारतीय रेलवे के प्रयासों में वायरस के खिलाफ अपनी लड़ाई को बनाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर योगदान दिया है।
महामारी के दौरान आरपीएफ भारतीय रेलवे के प्रयासों में सबसे आगे रही जैसे पार्क किए गए रोलिंग स्टॉक की सुरक्षा की, जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराया, सभी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का मार्गरक्षण किया, श्रमिक स्पेशल में 45 सामग्रियों तथा 34 मेडिकल सहायता सामग्रियों की डिलीवरी की। इस तकनीकी से रेलवे में फर्जी तरीके से ट्रेन टिकट बुक कराने वाले अवैध साफ्टवेयर और दलालों पर अंकुश रखने में नई तकनीक की अहम भूमिका होगी। आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने पत्रकारों से वर्चुअल बातचीत में बताया कि भविष्य में टिकट बुक करने वाली साइटों पर लॅगिन को यात्री के आधार नंबर या पासपोर्ट नंबर से जोड़ा जा सकता है।
इससे टिकट में दलालों का दखल खत्म करने में मदद मिलेगी। आरपीएफ महानिदेशक कुमार ने बताया कि रेलवे के जवानों ने वर्ष 2019 से लेकर मई 2021 के दौरान ट्रेनों अथवा स्टेशनों पर यात्रियों के 37 करोड़ रुपए की लागत के कुल 22835 सामान बरामद कर उन तक पहुंचाए। इस दौरान यात्रियों से सुरक्षा संबंधी कुल 37 हजार से अधिक काल रिसीव कर तत्काल कार्रवाई की गई। रेलवे में महिलाओं की भूमिका अहम है, जिससे महिला सुरक्षा में सुधार हुआ है।
आरपीएफ यात्रियों की यात्रा को आरामदायक बनाने के लिए उनकी सहायता करती रहती है । शिकायत निवारण, यात्रियों के छूटे हुए सामानों की वसूली और सुरक्षा संबंधी कॉल कुछ प्रमुख क्षेत्र हैं जिनमें आरपीएफ सक्रिय भूमिका निभाती है।
महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए आरपीएफ द्वारा शुरू की गई ‘मेरी सहेली’ की पहल ट्रेनों में अकेले सफर करने वाली महिलाओं के लिए वरदान साबित हुई है। महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए इन्हें सभी डिवीजनों में तैनात किया गया है। कोरोना के दौरान अपने परिवार जनों को खो चुके बच्चों की सुरक्षा के लिए आरपीएफ ने विशेष योजना तैयार की है। कुमार ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में रेलवे ने 56 हजार बच्चों को बचाया है।