डेजीवर्ल्डडाटकॉम के अनुसार

रोजगार एक बड़ी समस्या है लेकिन इसे हल करने के तरीके भी हैं बशर्ते इच्छाशक्ति और दृढ़ता हो। इस संकल्प का एक उदाहरण मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के गोठ गाँव की महिलाएँ हैं। उन्होंने झाड़ू बनाकर ‘आत्मनिर्भर’ या ‘आत्मानिर्भर’ बनने का अभियान शुरू किया है। अब ये महिलाएं झाड़ू बनाकर हर महीने 3,000 रुपये तक कमाती हैं। उन्होंने पहले कुछ धन एकत्र किया और फिर मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से सहायता प्राप्त की। इसके बाद, महिलाओं ने झाड़ू बनाना शुरू कर दिया जिसके कारण उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया है।

‘माया लाइवलीहुड सेल्फ-हेल्प ग्रुप’, गोथ की अध्यक्ष अल्पना तोमर ने कहा कि इस समूह का गठन 2019 में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से किया गया था। समूह ने हर हफ्ते सभी महिलाओं से 10 रुपये एकत्र किए और एकमुश्त 10,200 रुपये बैंक में जमा किए। फिर उन्हें एक जीवित निधि के रूप में आजीविका मिशन से एक लाख रुपये मिले। इसके अलावा, स्वयं सहायता समूह को एक ग्रामीण संगठन से 50,000 रुपये भी मिले।

उन्होने ने कहा कि समूह ने 1,50,000 रुपये की शुद्ध आय अर्जित की। उन्हें विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षण दिया गया, जिनमें से ‘माया लाइवलीहुड सेल्फ-हेल्प ग्रुप’ ने अपने लिए झाड़ू बनाने का उद्योग चुना। सभी महिलाओं ने इंदौर से झाड़ू बनाने के लिए कच्चा माल खरीदा। बाजारों में अब 4 रुपये प्रति झाड़ू पर उपलब्ध होने से स्थानीय स्तर से झाड़ू की बिक्री शुरू हो गई है।

धीरे-धीरे, प्रत्येक महिला ने 3,000 रुपये की मासिक आय अर्जित करना शुरू कर दिया। ये महिलाएं घर का काम खत्म करने के बाद झाड़ू बनाती हैं और अपनी कमाई का इस्तेमाल अपने परिवार की मदद के लिए करती हैं। इससे महिलाओं के वित्तीय उत्थान के साथ-साथ उनके जीवन स्तर को सुधारने में मदद मिली है।

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