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यात्रा का आयोजन विज्ञान भारती,  और IIT इंदौर के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। जिसमें रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। मध्य प्रदेश के सभी 52 जिलों में होने वाली विज्ञान यात्रा 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस से शुरू हुई, जो 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर समाप्त होगी। इस अवसर पर संगठन मंत्री विज्ञान भारती मालवा, संतोष विश्वकर्मा, प्रोफेसर आईआईटी इंदौर, अजय कुशवाहा, प्रोफेसर आईआईटी इंदौर उपस्थित थे।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति ब्रह्मप्रकाश पेठिया ने अपने संबोधन में कहा कि भारत ने प्राचीन काल से विज्ञान की महत्वपूर्ण खोजें की हैं। उन्होंने भारतीय विज्ञान चिंतकों आर्यभट्ट, नागार्जुन, वराहमिहिर द्वारा किए गए योगदान का उल्लेख किया।  प्रजातन्त्र गंगेल ने कहा कि शोध से समाज को लाभ होना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में भी विज्ञान का प्रसार आवश्यक है। तभी हम आत्मनिर्भर मध्य राज्य और आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को पूरा कर सकते हैं।

अजय कुशवाहा ने भारत की स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष से पहले स्वदेशी विज्ञान महोत्सव के संदर्भ में 11 से 13 मई के दौरान आईआईटी इंदौर में मध्य प्रदेश विज्ञान सम्मेलन और प्रदर्शनी के संगठन पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शिक्षकों और छात्रों को समाज में विज्ञान के प्रचार में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। संतोष विश्वकर्मा ने कहा कि यह सम्मेलन प्रौद्योगिकी और पारंपरिक ज्ञान का समन्वय है, जिसमें अधिक से अधिक छात्र और शैक्षणिक समुदाय भाग लेते हैं। इस अवसर पर डीन इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी संजीव गुप्ता, नीतू पालीवाल संयोजक विज्ञान यात्रा और डीन विज्ञान विभाग सहित बड़ी संख्या में प्रोफेसर उपस्थित थे।

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