देश का पहला फिल्म संग्रहालय ‘नेशनल म्यूजियम ऑफ इंडियन सिनेमा’ का उद्घाटन  किया। इस मौके पर उन्होंने कहा, हमने गरीबी और बेबसी जैसे विषयों पर देखी है लेकिन अब हमारे पास फिल्में हैं कि जो बताती है कि इन समस्या का मूल कारण क्या है। यह एक तरह से उपाय है।  देश में कई सारे पर्यटन स्थल फिल्मों की वजह से जाने जाते हैं, पर्यटन को बढ़ाने में बहुत बड़ा रोल फिल्म इंडस्ट्री निभा सकती है। साफ है, आज समाज के साथ फिल्मों में भी ये बदलाव दिख रहा है।

‘फिल्में और समाज एक दूसरे का रिफ्लेक्शन’

वास्तव में फिल्म और समाज – दोनों एक दूसरे के रिफ्लेक्शन्स होते हैं। समाज में क्या हो रहा है वो फिल्मों में देखने को मिलता है और जो फिल्मों में हो रहा है, वो समाज में भी आपको दिखता है। बीते दो दशक से फिल्म संग्रहालय के लिए चर्चा चल रही थी, आज इसके लोकार्पण के साथ हमारे सिनेमा के सुनहरे अतीत को एक जगह सहेजने का सपना पूरा हुआ है। उन्होंने कहा कि हमें फिल्म निर्माण से जुड़ी एक यूनिवर्सिटी बनाने की जरूरत है। आप लोगों के सुझाव आमंत्रित हैं। पीएम मोदी ने कहा कि पाइरेसी को रोकने के लिए सरकार सिनेमैटोग्राफी एक्ट 1952 में बदलाव करने की दिशा में कदम उठा रही है। उन्होंने ‘उरी’ फिल्म का डायलॉग ‘हाऊ इज द जोश’ बोला, जिसके जवाब में सभागार में मौजूद लोगों ने कहा- हाई सर।

इस संग्रहालय में  भारतीय सिनेमा के इतिहास से जुड़ी जानकारियां देने वाले इस संग्रहालय में दृश्य (विजुअल), शिल्प, ग्राफिक्स और मल्टीमीडिया की सहायता से भारतीय सिनेमा के किस्से-कहानियों का संग्रह है जो सिनेमा के अब तक के सफर का बताता है। यह संग्रहालय 19वीं सदी के ऐतिहासिक गुलशन महल और नये संग्रहालय भवन में बनाया गया है।  नामचीन फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल और सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी के मार्गदर्शन में संग्रहालय का निर्माण हुआ है। यहां भारतीय सिनेमा के 100 वर्ष से अधिक की यात्रा का वर्णन है।

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