न्यूज 18 में प्रकाशित
आज हम आपको बताएंगे एक बेटी की जो सभी के लिए आत्मनिर्भरता की मिसाल बनी। उसने कृषि विभाग में पीएचडी किया, यदि वह चाहती तो अपने गांव से बाहर जाकर भी काम कर सकती थी। लेकिन उसने अपने गांव को ही अपनी कार्यस्थली बनाई। उसने स्व आजीविका समहू बनाया, गांव की 15 आदिवासी महिलयों को जोड़ा ओर उनको मशरूम उगाने की ट्रैनिंग दिया गया ओर उसके बाद मशरूम उगाना शुरू किया जिससे ढेड महीने में करीब पाँच कुन्टल मशरूम किया जो की बाजार में मशरूम की बहुत मांग है, जी की हाथों हाथ 150 किलो बिक जाता है ऐसी बेटी पर सबको बहुत गर्भ है।