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गोला प्रखंड में इन दिनों स्ट्रॉबेरी की खेती हो रही हैं। जिले के किसान स्टाबैरी की खेती कर आत्मनिर्भर बन रहे है और अन्य किसानों के लिये प्रेरणा स्रोत भी बन रहे है ओर किसानों ने आत्मनिर्भरता की एक अनूठी मिसाल पेश की है। यहां के अधिकांश लोगों का मुख्य पेशा हैं कृषि हैं। यहॉं के 70 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर हैं और कृषि कार्य करके ही अपना जीवनयापन करते हैं।
गोला प्रखंड के एक किसान ने अपने क़ई डिसमिल भूमि में स्ट्रॉबेरी की खेती कर आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर हो रहे हैं। उनको देखकर उनके गांव के ही उनका कहना हैं कि स्ट्रोबेरी की खेती कि लिए सरकार का पूरा सहयोग मिल रहा है। उन्होंने बताया कि वह अगले वर्ष 50 डिसमिल में स्ट्रॉबेरी की खेती करेंगे क्योंकि इसमें अच्छा लाभ हैं। वर्तमान समय में 400 रुपए किलो स्ट्रॉबेरी बिक रहा है, जिससे काफी मुनाफा होता है। वहीं, स्थानीय छात्रसंघ का कहना हैं कि स्ट्रॉबेरी के बारे में केवल बुक में ही पढ़े थे पर आज पहली बार इसकी खेती देख बहुत अच्छा लग रहा है.
गोला के किसान प्रतिनिधि उत्तम कुशवाहा ने बताया कि भारत सरकार के कौशल्या फाउंडेशन एवं रामगढ़ जिला कृषि विज्ञान के द्वारा अनुदान पर स्ट्रॉबेरी का पौधा किसानों को उपलब्ध कराया हैं, जिससे किसानों को लाभ हो रहा है। समाजसेवी रूपेश महथा ने झारखंड सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि किसानों को सरकार काफी मदद कर रही हैं और आगे भी सरकार ऐसे ही किसानों की मदद करती रहे ताकि वो आगे बढ़ सकें।
बता दें कि स्ट्रॉबेरी में कई प्रमुख विटामिन मौजूद होते हैं. इससे स्वास्थ्य से जुड़े कई फायदे हैं। इसमें मौजूद विटामिन सी और एंटी-ऑक्सीडेंट बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने में मददगार होता है। इसमें मौजूद लाइकोपीन त्वचा की झुर्रियों और बारीक रेखाओं को भी कम करता है। इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन हैं जो काफी लाभकारी है।