दैनिक जागरण के अनुसार
केंद्र की गृह विज्ञान विभाग की सिस्टर अलमा ने इस अवधि में हजारों की ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार का प्रशिक्षण देकर आत्म निर्भर बनाया गया। उनके द्वारा ऐसे तो विविध रोजगार प्रशिक्षण कार्यशाला का सफलता पूर्वक संचालन किया ही गया विशेष रूप से पोषण वाटिका, मशरूम उत्पादन, फिनाइल, साबुन, वाशिग पाउडर आदि को लेकर हजारों की संख्या में महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया। विशेषकर ग्रामीण महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने में अग्रणी था होली क्रास कृषि विज्ञान केंद्र।
पोषण वाटिका कार्यक्रम के तहत क्षेत्र की महिलाओं को फल, सब्जी के बीज आदि का केंद्र के माध्यम से निश्शुल्क वितरण किया गया। साथ ही साथ महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा करते हुए उनके स्वास्थ्य का भी ख्याल रखा गया। केंद्र द्वारा महिलाओं को न सिर्फ प्रशिक्षित किया गया बल्कि वित्तीय समावेशण के क्षेत्र में सहयोग दिया गया। इसके अलावा उनके उत्पाद की मार्केटिग में भी सहयोग दिया गया।
कई उत्पाद की खरीददारी तो इन महिलाओं से केंद्र द्वारा ही कर ली गई। लॉकडाउन अवधि में केंद्र के माध्यम से कई आंगनाबाड़ी सेविकाओं को जोड़ा गया ताकि उन्हें प्रशिक्षण कर उनके क्षेत्र की महिलाओं को बेहतर ढंग से प्रशिक्षित किया जा सके। ज्ञात हो कि पिछले एक दशक से अधिक समय से केवीके में सेवा दे रही सिस्टर अलमा क्षेत्र के विभिन्न प्रखंडों की महिलाओं की चहेती हैं। इनके द्वारा अन्य क्षेत्र में भी महिलाओं को स्वरोजगार प्रशिक्षण दिया जाता रहा है। इन क्षेत्रों में विशेष रूप से सिलाई कढ़ाई, कशीदाकारी, मोमबत्ती, अगरबती, अचार, जाम, जेली आदि के क्षेत्र में ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षण देकर आत्म निर्भर बनाया गया है।
केंद्र द्वारा निदेशिका सिस्टर सजीता के मार्गदर्शन में गृह विज्ञान विभाग की सिस्टर अलमा द्वारा सचमुच सराहनीय कार्य किया जा रहा है। विशेष रूप से लॉक डाउन की अवधि में केंद्र सरकार के गाइडलाइन के अनुरूप प्रवासी कामगारों और उनके परिवार की महिलाओं को विभाग द्वारा बड़ी संख्या में रोजागर प्रशिक्षण दिया गया। हजारों की संख्या में ग्रामीण महिलाएं आज अपने पैरों पर खड़ी हो चुकी हैं।