रामकी इनवायरो इंजीनियर्स लिमिटेड की ओर से दक्षिण भारत के सबसे बड़े प्लास्टिक रिसाइक्लिंग युनिट का शुभारंभ किया गया। विशाखापट्टनम के परवडा स्थित जेएन फार्मसिटी में ये फैक्ट्री युनिट लगाई गई है। तीन एकड़ में फैली ये फैक्ट्री युनिट हर घंटे एक मिट्रिक टन वेस्ट प्लास्टिक को रिसाइकिल करने की क्षमता रखती है। विश्व स्तर की आधारभूत संरचना से लैस ये रिसाइकिल युनिट बड़े पैमाने पर कचरों में फेंके जाने वाले प्लास्टिक को रिसाइकिल करेगी।
जिसकी मदद से पर्यावरण सुरक्षा में इजाफा होगा। बता दें कि प्लास्टिक को नॉन बायोडिग्रेडेबल प्रोडक्ट है। जिसके पूरी तरह नष्ट होने में हजारों साल लग जाते हैं। इसी लिहाज से विभिन्न राज्य सरकारों की कोशिश है कि कचरा बन चुके प्लास्टिक यूं ही इधर उधर न फेंके जाय। बल्कि इसके फिर से इस्तेमाल के लिए रिसाइकिल किया जाय। विशाखापट्टनम में खुले फैक्ट्री युनिट से आंध्र प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों से आने वाले कचरा प्लास्टिक को रिसाइकिल किया जा सकेगा। जिस फैक्ट्री यूनिट का उद्घाटन किया गया उसमें प्लास्टिग बैग बनाने और उसके प्रिंटिग की भी सुविधा है। इन बैग्स को अनाज रखने या फिर बायोमेडिकल बैग्स के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
अनुमानित तौर पर हर साल देश में करीब 10 लाख टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है। जिसमें 40 फीसदी को बिना रिसाइकिल किये इधर उधर फेंक दिया जाता है। जो आगे चलकर पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदेह है। सतीश चीटी के मुताबिक “फार्म सिटी में प्लास्टिक रिसाइकिल सुविधा शुरू होने के साथ हम उद्योगों और घरेलू उपयोग से निकले प्लास्टिक वेस्ट रिसाइकिल कर सकेंगे। जिसके बाद इसे फिर से उच्च गुणवत्ता वाले प्लास्टिक ग्रैनुअल्स में बदला जाएगा, जिसके इस्तेमाल से प्लास्टिक की ही फिर से कई चीजें बनाई जा सकती है।”
सरकार के मुताबिक, सुविधा के शुरू होने से बेहद खुसी है इसके जरिए स्थानीय स्तर पर रोजगार को बढ़ावा मिलेगा साथ ही प्लास्टिक रिसाइकिल जैसे अहम मुद्दे पर कुछ सकारात्मक हो सकेगा। पर्यावरण के लिए अशोधित प्लास्टिक कचरा बहुत बड़ा खतरा है। वैश्विक महामारी के इस दौर में ये प्लास्टिक वेस्ट मानवता के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है। मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में देश के कई अन्य शहरों में भी इसी तरह का प्लास्टिक रिसाइकिल यूनिट लगाए जाएंगे।”