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एक महिला माया देवी ने गरीबी के दौर से निकलने के लिए संघर्ष का रास्ता चुना और पूरे विश्वास के साथ आगे बढ़ीं। जिला प्रशासन की मदद से वह आज कैंटीन चला रही हैं। इतना ही नहीं वह  चिप्स-पापड़ के साथ सिलाई का काम भी करती हैं। स्वयं सहायता समूह से 25 महिलाओं को जोड़ चुकी हैं। उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए नि:शुल्क सिलाई भी सिखाती हैं।

2018 में विकास भवन परिसर में मुख्य द्वार पर कैंटीन चलाने की प्रशासन ने अनुमति दे दी तब माया देवी की मेहनत रंग लाई, । डीएम डॉ. मन्नान अख्तर ने कैंटीन का उद्घाटन करते हुए माया की हौसलाफजाई की थी। अब माया और उनके पति की कमाई से गृहस्थी की गाड़ी पटरी पर दौड़ने लगी है। माया ने 10 महिलाओं को साथ लेकर 2015 में स्वयं सहायता समूह बनाया था।

घर बैठे-बैठे महिलाओं को चिप्स, पापड़, सिलाई का काम सिखाया। आज वह 25 महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने की पहल कर रही है। कैंटीन में भी समूह की कुछ महिलाएं पूड़ी बेलने, सब्जी बनाने का काम करती हैं। माया कैंटीन के लिए ज्यादातर सामान स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं से खरीदती हैं। वह बताती हैं कि इस सफलता के पीछे उनकी सास राजाबाई का भी अहम योगदान है।

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