दैनिक भास्कर में प्रकाशित 
नई शिक्षा नीति को लेकर देशभर के शिक्षाविदों सहित सभी क्षेत्रों में विद्वानों के बीच चर्चा शुरू हो गई है। शिक्षा नीति के इस बदलाव को शिक्षा के एक सुनहरे भविष्य के रूप में देखा जा रहा है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय रखे जाने का सरकार का फैसला शिक्षा और शिक्षकों के लिए बड़े सम्मान की बात है।

नीति देश को शिक्षा, कौशल और तकनीकी दक्षता से आत्म निर्भरता की ओर ले जाने का संकल्प है। नई शिक्षा नीति भारत में शिक्षा की नई नींव रखेगी। नई शिक्षा नीति का लक्ष्य भारत के स्कूलों और उच्च शिक्षा प्रणाली में कई सुधार करके उसकी खामियों को दूर करना है। नई शिक्षा नीति में प्रायमरी  स्टेज को छोड़कर मिडिल स्टेज की बात करें तो सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें कक्षा 6 से 8 की कक्षाओं की पढ़ाई होगी और 11 से 14 साल की उम्र के बच्चों को शामिल किया जाएगा। कक्षा 9 से 12 की पढ़ाई दो चरणों में होगी।

महत्वपूर्ण यह कि यहां से छात्र अपने विषय चुन सकेंगे। छात्रों को पढ़ाई में इसका सीधा लाभ मिलेगा।  इससे छात्रों के सामने बहुत और विस्तार से

विकल्प होंगे। छात्र अपना रिपोर्ट कार्ड के साथ समाज में आएगा तब उसके हाथ में अकादमिक मार्क्स के साथ कौशल और क्षमताओं का विवरण भी होगा। उन्होंने बताया कि इसमें दो महत्वपूर्ण लक्ष्य रखे गए हैं। 2023 तक शिक्षकों को मूल्यांकन सुधारों के लिए तैयार किया जाएगा और समावेशी और समान शिक्षा प्रणाली के प्रावधान के लिए 2023 तक का लक्ष्य रखा गया है। इसे बेहतर योजना तैयार कर दूर किया जा सकता है। हर स्तर पर समझकर कार्य करने की जरूरत है। नई शिक्षा नीति में छात्रों की फाउंडेशन लर्निंग पर जोर दिया है।

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