परंपरागत कला को पुनर्जीवित करने के लिए केवीआईसी द्वारा तवांग में 1000 वर्ष पुरानी हस्तनिर्मित कागज उद्योग‘मोनपा’ को जिंदा किया गया है; यह पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के समर्पित प्रयासों के फलस्वरूप 1000 वर्ष पुरानी परंपरागत कला- अरुणाचल प्रदेश का मोनपाहस्तनिर्मित कागज उद्योग- जिसे विलुप्त होने के लिए छोड़ दिया गया था, एक बार फिर जिंदा हो गया है।

मोनपा हस्तनिर्मित कागज निर्माण कला की शुरूआत 1000 वर्ष पूर्व हुई थी औरधीरे-धीरे यह कला अरुणाचल प्रदेश के तवांग में स्थानीय रीति-रिवाजों और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन गई। एक समय में इस हस्तनिर्मित कागज का उत्पादन तवांग के प्रत्येक घर में होता था औरयह स्थानीय लोगों केलिए उनकी आजीविका का एक प्रमुख स्रोत बन गया था। हालांकि, पिछले 100 वर्षों से यह हस्तनिर्मित कागज उद्योग लगभग गायब हो चुका था; जिसने केवीआईसी को इस प्राचीन कला का पुनरुद्धार करने की योजना बनाने के लिए प्रेरित किया।

केवीआईसी द्वारा शुक्रवार को तवांग में मोनपा हस्तनिर्मित कागज निर्माण ईकाई की शुरूआत की गई, जिसका उद्देश्य न केवल इस कला को पुनर्जीवित करना है बल्कि स्थानीय युवाओं को इस कला के माध्यम से पेशेवर रूप से जोड़ना और उनको धन अर्जित करवाना भी है। जो कि स्थानीय लोगों के लिए एक ऐतिहासिक घटना है।इस कागज का एक बहुत बड़ा ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है क्योंकि यह बौद्ध मठों में धर्मग्रंथों और स्तुति गान लिखने के लिए उपयोग किया जाने वाला कागज है।

मोनपा हस्तनिर्मित कागज, शुगु शेंग नामक स्थानीय पेड़ की छाल से बनाया जाएगा, जिसकाअपना औषधीय मूल्य भी है। इसलिए इस कागज के लिए कच्चे माल की उपलब्धता की समस्या उत्पन्न नहीं होगी। इस हस्तनिर्मित कागज उद्योग का पुनरुद्धार करने का एक प्रयास 1994 में किया गया था, लेकिन वह असफल रहा क्योंकि तवांग की विभिन्न भौगोलिक चुनौतियों के कारण यह एक बहुत ही कठिन कार्य था। पूर्व में,मोनपा का उत्पादन इतने बड़े स्तर पर होता था कि इन कागजों को तिब्बत, भूटान, थाईलैंड और जापान जैसे देशों में बेचा जाता था क्योंकि उस समय इन देशों के पासकागज उत्पादन का कोई उद्योग मौजूद नहीं था।हालांकि, धीरे-धीरे स्थानीय उद्योग में गिरावट दर्ज होनेलगी और स्वदेशी हस्तनिर्मित कागज के स्थान पर निम्नस्तरीय चीनी कागज के अपना कब्जा जमा लिया।

हालांकि, केवीआईसी के उच्च प्रबंधन के मजबूत इरादे के कारण, कई चुनौतियां सामने आने के बावजूद इस यूनिट की स्थापना सफलतापूर्वक की गई। केवीआईसी अध्यक्ष के निर्देश पर, तवांग में कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट (केएनएचपीआई),जयपुर के वैज्ञानिकों और अधिकारियों की एक टीम को इस यूनिट की स्थापना करने और स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए तैनात किया गया था। छह महीने से ज्यादा के कठोर परिश्रम का फल प्राप्त हुआ और तवांग में इसयूनिट की शुरूआत हुई।

मोनपा हस्तनिर्मित कागज यूनिट, स्थानीय युवाओं के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र के रूप में भी कार्य करेगी। केवीआईसी केवल इसको विपणन सहायता प्रदान करेगा बल्कि स्थानीय रूप से निर्मित हस्तनिर्मित कागज के लिए बाजार की भी तलाश करेगा। केवीआईसी की योजना देश के विभिन्न इलाकों में इस प्रकार की अन्य इकाइयों की स्थापना करने की है। उन्होने ने कहा कि केवीआईसी द्वारा तवांग में अभिनव प्लास्टिक मिश्रित हस्तनिर्मित कागज का उत्पादन भी शुरू किया जाएगा, जो कि इस क्षेत्र में प्लास्टिक कचरे में कमी लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

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