भारत ने लद्दाख के त्सो कर आर्द्रभूमि क्षेत्र को अपने 42वें रामसर स्थल के रूप में शामिल किया है। यह केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का दूसरा ऐसा स्थल है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने खुशी व्यक्त करते हुए आज एक ट्वीट संदेश में यह जानकारी साझा की।
त्सो कर घाटी एक अत्यधिक ऊंचाई वाला आर्द्रभूमि क्षेत्र है जहां दो प्रमुख जलप्रपात हैं जो लद्दाख के चांगथांग क्षेत्र के दक्षिण में लगभग 438 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तृत मीठे पानी की झील स्टारत्सपुक त्सो और उत्तर में 1800 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तृत खारे पानी की झील त्सो कर खुद स्थित है। इसे त्सो कर कहा जाता है जिसका अर्थ है सफेद नमक। इस क्षेत्र में मौजूद अत्यधिक खारे पानी के वाष्पीकरण के कारण किनारे पर सफेद नमक की पपड़ी पाई जाती है।
बर्ड लाइफ इंटरनेशनल के अनुसार त्सो कर घाटी ए1 श्रेणी का एक महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र (आईबीए) और यह मध्य एशियाई उड़ान मार्ग का एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह स्थान भारत में काले गर्दन वाली सारस पक्षी (ग्रस नाइग्रीकोलिस) का एक महत्वपूर्ण प्रजनन क्षेत्र है। यह आईबीए ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीबे (पोडिसेक्रिस्ट्रैटस), बार-हेडेड गीज यानी कलहंस नसेरिंडिकस), रूडी शेल डक यानी बतख (टाडोर्नफ्रेग्यूनिआ), ब्राउन-हेडेड गल (लार्सब्रोननिसेफालस), लेसर सैंड-प्लोवर (चारेड्रियसमुंगोलस) और कई अन्य प्रजातियों के लिए एक प्रमुख प्रजनन क्षेत्र है।
रामसर सूची का उद्देश्य आर्द्रभूमि के एक अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क का विकास और रखरखाव करना है जो वैश्विक जैव विविधता के संरक्षण एवं उनके पारिस्थितिक तंत्र के घटकों, प्रक्रियाओं और लाभों के रखरखाव के जरिये मानव जीवन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
आर्द्रभूमि क्षेत्र भोजन, पानी, फाइबर, भूजल पुनर्भरण, जल शोधन, बाढ़ नियंत्रण, कटाव नियंत्रण और जलवायु विनियमन जैसे महत्वपूर्ण संसाधन एवं पारिस्थितिकी सेवाएं प्रदान करता है। वास्तव में वह पानी का एक बड़ा स्रोत होता है और मीठे पानी की हमारी मुख्य आपूर्ति आर्द्रभूमि के एक समूह से होकर गुजरती है जो वर्षा जल को सोखने और पानी को रिचार्ज करने में मदद करती है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय इस क्षेत्र का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए केंद्र शासित प्रदेश आर्द्रभूमि प्राधिकरण के साथ मिलकर काम करेगा।