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भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एक नई नैनो संरचना कमरे के तापमान में बहुत ही कम सान्द्रता में नाइट्रोजन के आक्साइड का पता लगा सकती है, जो कि शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों में सटीक वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली की तात्कालिक आवश्यकता को पूरा कर सकती है। आधुनिक प्रौद्योगिकी में गैस सेंसर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जहां ये पर्यावरण निगरानीे, औद्योगिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवा नैदानिक सुविधायें प्रदान करते हैं। सामग्रियों और प्रौद्योगिकी में नवाचार के माध्यम से गैस सेंसर का क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है, इसका उद्देश्य संवेदनशीलता, चयनात्मकता, प्रतिक्रिया और रिकवरी समय, स्थिरता और परिचालन तापमान जैसे महत्वपूर्ण पैरामीटर को बढ़ाना है।

सेंसर तकनीक के क्षेत्र में वर्तमान में चल रही अनुसंधान और विकास गतिविधियों का प्राथमिक उद्देश्य इन सभी मानदंडों में उत्तम प्रदर्शन करने वाला सेंसिंग उपकरण हासिल करना है, हालांकि इसमें महत्वपूर्ण तकनीकी चुनौतियां बनी हुई हैं। गैस सेंसर के मामले में सामग्री का चुनाव महत्वपूर्ण है, इसका उनके परिचालन प्रदर्शन पर गहरा प्रभाव होता है।

कर्नाटक स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के भौतिकी विभाग से डा. शुभास्मिता रे और डा. कार्तिक तरफदार के सहयोग से की गई कंप्यूटेशनल गणनायें प्रयोगात्मक खोज को मान्यता देती है। इन गणनाओं से यह पुष्टि हो जाती है कि मिश्रित स्पाइनल संरचना के निर्माण से सामान्य रूप से देखी जाने वाली सामान्य स्पाइनल  ZnFe2O4 संरचना के मुकाबले एनओ-एक्स अणुओं की  उच्च अवशोषण उर्जा प्राप्त होती है।

कैमिकल इंजीनियरिंग जर्नल में प्रकाशित इस शोध में न केवल मिश्रित स्पाइनेल  ZnFe2O4 आधारित सेंसर को भविष्य के उच्च प्रदर्शन वाले गैस सेंसर के संभावित प्रतिस्पर्धी के तौर पर रेखांकित किया गया है बल्कि इसमें धनायन वितरण संशोधनों के माध्यम से स्पाइनल फेराइट्स के गुणों का लाभ उठाने के लिये एक प्रभावी रणनीति पर भी प्रकाश डाला गया है। इस क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ते रहने से एक व्यापक वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली तैयार हो सकती है, जो कि प्रदूषण कम करने और जन स्वास्थ्य सुरक्षा के लिये महत्वपूर्ण है।

प्रकाशन लिंक:  https://doi.org/10.1016/j.cej.2024.151873

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