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शोधकर्ताओं ने एक दुर्लभ इलेक्ट्रान स्थानीयकरण परिघटना को खोज निकाला है जो कि सामग्री चुनने के विकल्प बढ़ा सकती है और जिसका उपयोग सेमिकंडक्टर के मौजूदा प्रदर्शन को बेहतर बनाने में किया जा सकता है अथवा लेजर, आप्टिकल माड्यूलेटर और फोटोसचालकता जैसे क्षेत्रों में उनके अनुप्रयोगों का विस्तार किया जा सकता है।

अमेरिका के सैद्वांतिक भौतिक विज्ञानी पी डब्ल्यू एंडरसन द्वारा प्रस्तावित अव्यवस्थित और अनाकार संमिकंडक्टर में इलेक्ट्रांस, फोटोन्स और फोनोंस जैसे प्राथमिक अर्धकणों की एंडरसन स्थानीयकरण ठोस-अवस्था भौतिकी में एक दिलचस्प घटना है। यह तब होती है जब डोपिंग और अशुद्धियां धातुओं और सेमिकंडक्टर में प्रवाह अनुपस्थिति का कारण बनती हैं।

एक महत्वपूर्ण खोज में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायतशासी संस्थान, बेंगलूरू स्थित जवाहरलाल नेहरू आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान केन्द्र के शोधकर्ताओं ने अर्ध-क्लासिक एंडरसन संक्रमण का प्रदर्शन करने के लिये आक्सीजन और मैग्निशियम का उपयोग अनियमित डोपेंट के तौर पर किया जिससे संभावित उतार- चढ़ाव पैदा हुआ (विद्युतीय क्षमता) और इससे विद्युत प्रवाह रोकने वाले डाइइलेक्ट्रिक मैट्रिक्स के भीतर इलेक्ट्रान के बुलबुले पैदा हुये जिससे मूल सामग्री में एक बैंड संरचनात्मक बदलाव आ जाता है। यह ऐसी स्थिति बनाता है जिसे – परकोलेटिव धातु-कुचालक संक्रमण – के रूप में जाना जाता है जिसमें संरचना वही रहती है लेकिन इलेक्ट्रानिक रूप से बदलाव होता है।
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