वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद- राष्ट्रीय वानस्पतिक अनुसंधान संस्थान  (लखनऊ) के फार्माकोग्नॉसी डिवीजन में एसवाईएसटी वित्त पोषित परियोजना का परिणाम है। सीएसआईआर-एनबीआरआई के फार्माकोग्नॉसी डिवीजन में डॉ. अंकिता मिश्रा (प्रधान अन्वेषक) और डॉ. शरद श्रीवास्तव (मुख्य वैज्ञानिक और प्रमुख) की सलाह के अंतर्गत  विकसित वानस्पतिक (हर्बल) उपचार को मानक के समतुल्य  गाउट/गाउटी गठिया में सहक्रियात्मक रूप से प्रभावकारी पाया गया।

औषधि  कोल्सीसीन. संयोजन की जैव-प्रभावकारिता का परीक्षण प्रयोगशाला स्थितियों के अंतर्गत  इन-विट्रो और इन-विवो परीक्षणों की बैटरी के माध्यम से किया गया था और इसके अलावा, पशु मॉडल में एनबीआरआई-गाउट आउट की सुरक्षा और विषाक्तता भी स्थापित की गई थी। अध्ययनों से पता चला है कि यूरिक एसिड में उल्लेखनीय कमी (80%) और सूजन मध्यस्थों (आईएल-6, टीएनएफ-α, आईएल-1β) में लगभग 70% की कमी आई है, जो गठिया (गाउट) के रोगजनन के अंतर्निहित प्राथमिक कारण हैं।

इसके अतिरिक्त, इससे दर्द, जोड़ों में कठोरता में उल्लेखनीय कमी और गतिशीलता में भी सुधार देखा गया। यह पूरी तरह से पानी में घुलनशील है और इसमें कोई विलायक अवशेष नहीं है। उपयोग किया जाने वाला कच्चा माल हर्बल दवा बाजार में व्यापक रूप से उपलब्ध है और इससे जैव विविधता (बायो डाइवर्सिटी) को कोई खतरा नहीं है। उत्पाद को आयुष मोड में विकसित किया गया है, यह लागत प्रभावी है और दो कंपनियों ने इसके व्यावसायीकरण में रुचि दिखाई है। ह

र्बल उपचार का उपयोग गाउटी गठिया, गाउटी फ्लेयर, रोगनिरोधी (प्रोफिलैक्सिस) मामलों और गाउटी लक्षणों वाले अज्ञातहेतुक (इडियोपैथिक) मामलों में उपचार की वर्तमान व्यवस्था के साथ सहायक चिकित्सा के रूप में भी किया जा सकता है।

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