विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान, इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईएएसएसटी) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा मॉडल विकसित करने की योजना बनाई है जो वास्तविक दुनिया की स्थिति में व्यावहारिक रूप से लागू होगा और इसमें गणना समय की न्यूनतम राशि बेजोड़ सटीकता होगी।

डॉ. लिपि बी. महंत और उनकी टीम ने एक शक्तिशाली मशीन लर्निंग (एमएल) ढांचे को विकसित करने के लिए विभिन्न रंग मॉडल, परिवर्तन तकनीकों, फीचर प्रतिनिधित्व योजनाओं और वर्गीकरण विधियों के साथ प्रयोग किया। इस व्यापक विश्लेषण और प्रयोग का उद्देश्य सर्वाइकल डिसप्लेसिया का पता लगाने के लिए इष्टतम संयोजन की पहचान करना था।

मॉडल के प्रदर्शन का परीक्षण दो डेटासेट पर किया गया जिसमे से पहला भारत में स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों से एकत्र किया गया और दूसरा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटासेट था। छवि प्रसंस्करण की एक विधि का उपयोग करना- गैर-सबसैंपल्ड कंटूरलेट ट्रांसफॉर्म (एनएससीटी) और वाईसीबीसीआर के  रंग मॉडल (किसी छवि में रंगों का प्रतिनिधित्व करने का एक तरीका), पर नए मॉडल ने 98.02% की औसत सटीकता प्राप्त की।

एमडीपीआई द्वारा ‘मैथमैटिक्स’ पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्षों ने सर्वाइकल डिसप्लेसिया का पता लगाने में क्रांति लाने के लिए उनके कम्प्यूटेशनल मॉडल की क्षमता पर प्रकाश डाला। नवोन्मेषी मॉडल सर्वाइकल डिसप्लेसिया का पता लगाने में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को बेहतर निदान परिशुद्धता और बेहतर उपचार परिणामों के लिए अत्यधिक सटीक उपकरण प्रदान कर सकता है।

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