आईआईटी मद्रास में विकसित और इनक्यूबेट किये गये भारत के पहले पेटेंटीकृत सिंगल-पीस 3डी-प्रिंटेड सेमी-क्रायोजेनिक इंजन द्वारा संचालित एक नवोन्मेषी दो-चरण कक्षीय प्रक्षेपण यान अग्निबाण को 30 मई 2024 को लॉन्च किया गया। यह देश के अंतरिक्ष इको-सिस्टम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

अत्याधुनिक प्रक्षेपण यान भारत के लिए निरंतर मिशनों का मार्ग प्रशस्त करता है और साथ ही देश को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक वाणिज्यिक हब भी बनाता है।

प्रक्षेपण यान को अंतरिक्ष-तकनीक में एक स्टार्टअप अग्निकुल द्वारा विकसित किया गया है। अग्निकुल को आईआईटी मद्रास के इनक्यूबेशन सेल (विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा समर्थित एक टीबीआई) में इनक्यूबेट किया गया है और अगस्त 2022 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्टार्टअप उत्सव के दौरान स्टार्टअप एक्सपो में प्रदर्शित किया गया है। स्टार्टअप आईआईटी मद्रास में राष्ट्रीय कम्बस्टन अनुसंधान और विकास केंद्र (एनसीसीआरडी) के साथ मिलकर काम करता है जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा समर्थित है।

डीएसटी द्वारा समर्थित एनसीसीआरडी कम्बस्टन अनुसंधान में अत्याधुनिक क्षमताओं का विकास करता है। यह ऑटोमोटिव, थर्मल पावर और एयरोस्पेस प्रोपल्सन, फायर रिसर्च और माइक्रोग्रैविटी कम्बस्टन पर काम करने वाला विश्व का सबसे बड़ा कम्बस्टन अनुसंधान केंद्र है। अकादमिक अनुसंधान और प्रशिक्षण के अतिरिक्त, एनसीसीआरडी औद्योगिक और अनुसंधान एवं विकास संगठनों के साथ घनिष्टतापूर्वक काम करता है।

एनसीसीआरडी के साथ मिलकर काम करते हुए, चेन्नई स्थित स्टार्टअप ने कई ऐसी प्रौद्योगिकियां विकसित की हैं जो अंतरिक्ष इंजनों की विश्वसनीयता में सुधार कर सकती हैं और उनके निर्माण में तेज़ी ला सकती हैं, जिससे अंतरिक्ष मिशनों को व्यवस्थित करना सरल हो जाता है। स्टार्टअप ने अपना पहला उद्घाटन मिशन – अग्निबाण एसओआरटीईडी सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। अग्निबाण एसओआरटीईडी (अग्निबाण सब-ऑर्बिटल टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर) एक सिंगल-स्टेज व्हीकल है जो एक सिंगल सेमी-क्रायोजेनिक प्रेशर-फेड इंजन द्वारा संचालित होता है जिसका उपयोग अग्निबाण के लिए किया गया है। यह प्रयास भारत के पहले निजी लॉन्चपैड एसडीएससी एसएचएआर से किया गया।

डीएसटी द्वारा समर्थित एनसीसीआरडी अग्निकुल के लिए प्रशिक्षण स्थल रहा है, जहां उन्होंने रॉकेट बनाने की पेचीदगियों को सीखा और इससे स्टार्टअप को शुरुआती चरणों में प्रौद्योगिकी का पता लगाने में मदद मिली। डीएसटी द्वारा वित्त पोषित एक अन्य टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (टीआईएच), आईआईटी मद्रास से प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज अंतरिक्ष और डीप स्पेस के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास और व्यावसायीकरण के लिए उनके साझीदार बन गए।

निजी कम्पनियों के लिए सरकार द्वारा अंतरिक्ष बाजार खोलने से इस क्षेत्र में एक अवसर सृजित हुआ। उन्होंने आईआईटी मद्रास रिसर्च पार्क स्थित कंपनी की एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग सुविधा केंद्र, जिसे लोकप्रिय रूप से अग्निकुल रॉकेट फैक्ट्री – 01 कहा जाता है और जिसका उद्घाटन 2022 में किया गया था, में इंजनों का विनिर्माण आरंभ करने के लिए स्वविकसित प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया।

अग्निकुल की अभूतपूर्व उपलब्धि वह इंजन है जो अलग-अलग कम्पोनेंट को जोड़ता है। यह विशेषता इसे अनूठा बनाती है। इसे उच्च श्रेणी की एयरोस्पेस सामग्री से निर्मित किया जाता है जो इसे अधिक विश्वसनीय बनाती है। इससे रियलाइजेशन टाइम भी कम हो जाता है और पारंपरिक रूप से विनिर्मित इंजनों की तुलना में तेजी से विनिर्माण की सुविधा मिलती है।

डीएसटी के टीबीआई समर्थित स्टार्टअप ने श्रीहरिकोटा रेंज में मिशन कंट्रोल सेंटर के साथ भारत का पहला निजी लॉन्चपैड स्थापित किया। लॉन्चपैड के निर्माण की योजना, डिजाइन और क्रियान्वयन पूरी तरह से इन-हाउस किया गया है।

इसके अतिरिक्त, कंपनी द्वारा विकसित ऑटोपायलट सॉफ्टवेयर यह सुनिश्चित करता है कि यह व्हीकल सभी बाहरी दबावों के बावजूद मिशन पथ पर बना रहे, जो किसी भी मिशन के लिए महत्वपूर्ण है।

लॉन्च व्हीकल, अग्निबाण भारत का पहला लॉन्च व्हीकल है जो एक शक्तिशाली और कॉम्पैक्ट इलेक्ट्रिक ड्राइव के माध्यम से प्रोपेलैंट्स को फीड करता है। इन-हाउस तरीके से विकसित हाई-स्पीड मोटर कंट्रोलर हाई फ्रीक्वेंसी पर उच्च शक्ति प्रदान कर सकता है और उच्च वोल्टेज की ओर बदलाव से पैदा शोर को समुचित शील्डिंग और अर्थिंग द्वारा कम किया जाता है।

विश्व के पहले सिंगल-पीस 3डी प्रिंटेड इंजन और कॉन्फ़िगर करने योग्य व्हीकल सहित विभिन्न प्रौद्योगिकियों ने लॉन्च की लागत को पेलोड मास के स्पेक्ट्रम में समान – 30 किलोग्राम से 300 किलोग्राम- बना दिया है।

डीएसटी-टीबीआई समर्थित स्टार्टअप द्वारा अग्निबाण सब-ऑर्बिटल टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर के लांच ने सिंगल पीस पेटेंटेड रॉकेट इंजन, भारत की पहली अर्ध-क्रायोजेनिक इंजन फ्लाइट, ईथरनेट-आधारित एवियोनिक्स ढांचे के साथ पहली फ्लाइट के साथ, विश्व की पहली फ्लाइट बनाने में मदद की है और इसका नाम भारत की पहली कंट्रोल्ड एसेंट फ्लाइट के रूप में शामिल है।

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