आयुष मंत्रालय के तहत केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद – कैप्टन श्रीनिवास मूर्ति केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (सीएसएमसीएआरआई) ने रविवार को भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी आयुक्तालय (सीआईएमएंडएच) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। एमओयू में परीक्षण सेवाओं, प्रशिक्षण प्रदान करने और “चयनित उच्च-क्रम दवाओं के मानकीकरण के लिए अनुसंधान अध्ययन” पर एक सहयोगी परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए एक सहयोगी रूपरेखा की रूपरेखा दी गई है।

यह समझौता ज्ञापन (एमओयू) इन प्रमुख संस्थानों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके प्रत्याशित परिणामों में शामिल हैं:

  • उन्नत गुणवत्ता और सुरक्षा: कठोर परीक्षण व मानकीकरण प्रोटोकॉल आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक औषधियों की उच्च गुणवत्ता व सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे, जिससे चिकित्सकों और रोगियों, दोनों को लाभ होगा।
  • विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम: एनएबीएल प्रत्यायन प्रशिक्षण मार्गदर्शन सीआईएमएंडएच प्रयोगशाला की क्षमताओं को संवर्द्धित करेगा और उच्चतम मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करेगा।
  • सहयोगात्मक अनुसंधान पहल: संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं चयनित उच्च-स्तरीय औषधियों की विषाक्तता का मूल्यांकन करने, वैज्ञानिक समुदाय को मूल्यवान डेटा प्रदान करने और इन उपचारों की सुरक्षा व प्रभावकारिता सुनिश्चित करने पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगी।
  • क्षमता निर्माण और ज्ञान का आदान-प्रदान: यह साझेदारी ज्ञान के स्थायी आदान-प्रदान व क्षमता निर्माण के साथ एक सहयोगात्मक वातावरण को बढ़ावा देगी, जो भारतीय चिकित्सा और होम्योपैथी में नवाचार व उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करेगी।

आयुष मंत्रालय ने कहा कि साझेदारी का उद्देश्य दवा के मानकीकरण के लिए चयनित कच्ची दवाओं और तैयार उत्पादों का परीक्षण करना है। यह सीआईएमएंडएच की प्रयोगशाला को एनएबीएल मान्यता प्रशिक्षण मार्गदर्शन भी प्रदान करेगा। सीसीआरएएस, चेन्नई के महानिदेशक रविनारायण आचार्य ने कहा, “सीसीआरएएस और सीआईएमएंडएच के बीच इस समझौता  ने भारत के अन्य राज्यों के लिए भी मिसाल कायम की है, वे आगे आकर विभिन्न शोध और विकास गतिविधियों के लिए सीसीआरएएस, आयुष मंत्रालय के साथ हाथ मिला सकते हैं।

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