कोयला मंत्रालय के मार्गदर्शन में कोयला और लिग्नाइट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) ने देश की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिए न केवल पिछले कुछ वर्षों में कोयला उत्पादन के स्तर को बढ़ाया है, बल्कि विभिन्न निवारक यानी शमन उपायों को लागू करके पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित किया है। इसी क्रम में कोयला खनन वाले क्षेत्रों में और उसके आसपास के इलाकों में वृक्षारोपण के व्यापक प्रयासों के माध्यम से खनन-रहित क्षेत्रों को पुनः बहाल करना शामिल है।

चूंकि यह वर्ष मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीडी) की 30वीं वर्षगांठ का प्रतीक है, इसलिए विश्व पर्यावरण दिवस, 2024 का फोकस भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने पर है, जिसका नारा है “हमारी भूमि, हमारा भविष्य। हम #GenerationRestoration हैं”। इस थीम में टिकाऊ भूमि प्रबंधन के महत्व और सभी के लिए टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित करने के लिए बंजर भूमि को हरा-भरा बनाने और पुनर्वास की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। कोयला मंत्रालय ने “कोयला और लिग्नाइट पीएसयू में हरित पहल” शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कोयला और लिग्नाइट क्षेत्रों में सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा खनन से नष्ट हो चुकी भूमि को बहाल करने और उसका कायाकल्प करने के प्रयासों पर प्रकाश डाला गया है।

इन सार्वजनिक उपक्रमों ने व्यापक वनरोपण और पारिस्थितिकी बहाली परियोजनाएं शुरू की हैं, जिससे बंजर भूमि को हरे-भरे क्षेत्रों में बदला जा रहा है। इस तरह की पहल न केवल रेगिस्तानीकरण से लड़ती है और सूखे के प्रति लचीलापन बढ़ाती है, बल्कि कार्बन पृथक्करण और जैव विविधता संरक्षण में भी योगदान देती है। इन हरियाली प्रयासों को एकीकृत करके, रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि कोयला क्षेत्र भूमि बहाली के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। वैश्विक महत्वाकांक्षाओं और स्थानीय कार्रवाइयों के बीच यह तालमेल भविष्य की पीढ़ियों के लिए हमारे ग्रह के भूमि संसाधनों को संरक्षित करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाता है।

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