रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने कल नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सहयोग से मेडिटेक स्टैकथॉन 2024 का शुभारंभ किया। मेडिटेक स्टैकथॉन एक अभूतपूर्व पहल है जिसे कुछ चयनित विशेष चिकित्सा उपकरणों के व्यापक मूल्य श्रृंखला विश्लेषण के माध्यम से भारत के बढ़ते मेडटेक क्षेत्र के भीतर परिवर्तनकारी परिवर्तन पहल को आगे बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
स्टैकथॉन का उद्देश्य शीर्ष उद्योगपतियों, नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों के साथ परामर्श के माध्यम से महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करना, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और आयात निर्भरता को कम करना है, जिससे भारत को चिकित्सा प्रौद्योगिकी में वैश्विक अग्रज के रूप में स्थापित किया जा सके। इस अवसर पर फार्मास्यूटिकल्स विभाग के संयुक्त सचिव श्री आरपी सिंह और भारतीय उद्योग परिसंघ नेशनल मेडिकल टेक्नोलॉजी फोरम के अध्यक्ष श्री हिमांशु बैद और विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी और उद्योग जगत के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
मेडिटेक स्टैकथॉन में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए, उन्होंने ने कहा कि देश के मेडटेक उद्योग में अपार संभावनाएं हैं। अनुमान है कि इस उद्योग में 28 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर रहेगी, जो वर्ष 2030 तक 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में, भारत एशिया में चिकित्सा उपकरणों के लिए चौथा सबसे बड़ा बाजार है और विश्व स्तर पर शीर्ष 20 देशों में शामिल है। 2022-23 के लिए शुद्ध आयात 0.45 के आयात कवरेज अनुपात के साथ 4101 मिलियन अमरीकी डालर है।
उन्होंने ने कहा कि इस क्षेत्र में आयात में वृद्धि देखी गई है, जो मुख्य रूप से अमेरिका, चीन और जर्मनी जैसे देशों द्वारा संचालित है। भारत का सुदृढ़ नीति पारिस्थितिकी तंत्र निर्यात को बढ़ावा देने और घरेलू विनिर्माण के माध्यम से आयात निर्भरता को कम करने के अवसर प्रदान करता है। उन्होंने ने देश में चिकित्सा उपकरण उद्योग के विकास के लिए एक सुदृढ़ नीति तैयार करने के लिए नीति निर्माताओं और उद्योग जगत को एक साथ मिलकर इस क्षेत्र में काम करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत को गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है ताकि वह विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बने।