एयर मार्शल राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (नेशनल डिफेन्स अकैडमी-एनडीए) के पूर्व छात्र हैं और उन्हें 19 दिसंबर 1987 को भारतीय वायु सेना में लड़ाकू पायलट के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने मुख्य रूप से मिग-21 के विभिन्न संस्करणों और मिग-29 विमानों से 3500 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भरते हुए हमारे देश के कोने-कोने में अपनी सेवाएं दी हैं  ।

वे “ऐ”  श्रेणी के  योग्य उड़ान (फ्लाइंग प्रशिक्षक) हैं और उन्होंने एक विंग कमांडर के रूप में, नंबर 47 स्क्वाड्रन, ‘द ब्लैक आर्चर’ की कमान संभाली थी, जिसके वे अब कमोडोर कमांडेंट भी हैं । वह 2014 से 2017 तक वायु सेना स्टेशन हलवाडा के एयर ऑफिसर कमांडिंग भी रहे। वह स्वदेशी किरण एमके-II विमान, ‘सूर्यकिरण’ पर भारतीय वायु सेना की फॉर्मेशन एरोबेटिक टीम के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं। उन्होंने वायु सेना मुख्यालय में निदेशक संचालन, वायु सेना प्रमुख के वायु सहायक और वायु सेना मुख्यालय में सहायक वायु सेना प्रमुख (संचालन) की महत्वपूर्ण स्टाफ नियुक्तियों पर  भी कार्य किया है।

वे डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और सेंटर ऑफ डिफेंस एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज, कैनबरा, ऑस्ट्रेलिया से स्नातक हैं। पश्चिमी वायु कमान के वरिष्ठ एयर स्टाफ (वायु कर्मचारी) अधिकारी के रूप में कार्यभार संभालने से पहले, वे  जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के एयर ऑफिसर कमांडिंग रहे हैं I

वायु  सेना के यह अधिकारी  राष्ट्र के प्रति अपनी  विशिष्ट सेवा के लिए ‘अति विशिष्ट सेवा पदक (एवीएसएम)’ और ‘वायु सेना पदक’ से सम्मानित  हैं। उनका विवाह श्रीमती नविता अर्जुन वोहरा से हुआ और उनका एक पुत्र है।

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