केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (सीएसयू), श्री सदाशिव परिसर, पुरी में शैक्षणिक प्रशासनिक भवन, लड़कों और लड़कियों के छात्रावास भवन, क्वार्टर और खेल सुविधाओं की आधारशिला रखी। उन्होंने ‘बलराम दास का लक्ष्मी पुराण: समानता, सशक्तिकरण और न्याय पर एक नया प्रवचन’ शीर्षक से एक तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का भी उद्घाटन किया।

सीएसयू चांसलर के रूप में मुख्य भाषण देते हुए उन्होंने  ने कहा कि शनिवार को शुरू की गई 100 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उपयोग भारतीय भाषाओं और वेदों को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ने के लिए किया जाएगा। उन्होंने  ने कहा कि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, पुरी ने संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने में अपनी अलग पहचान बनाई है।

लक्ष्मी पुराण के महत्व पर बोलते हुए प्रधान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे वेदों के ज्ञान, मूल्यों और संदेशों को आत्मसात करके हम सामाजिक न्याय, महिला सशक्तिकरण और महिला नेतृत्व वाले विकास की ओर बढ़ सकते हैं। लक्ष्मी पुराण एक भक्तिपूर्ण काव्य है, जिसकी रचना ओडिशा के ‘बाल्मीकि’ कहे जाने वाले महान संत कवि बलराम दास ने 15वीं शताब्दी में पुरी में की थी।

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