केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने केंद्रीय आयुष मंत्री श्री सर्वानंद सोनोवाल के साथ सफदरजंग अस्पताल में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) के एकीकृत चिकित्सा विभाग में एकीकृत चिकित्सा केंद्र का उद्घाटन किया।
उन्होंने कहा, “एलोपैथी में आधुनिक प्रगति का उपयोग करने के साथ-साथ एकीकृत चिकित्सा का उद्देश्य भारत की समृद्ध विरासत और चिकित्सा ज्ञान की क्षमता का उपयोग करना है। पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियां दोनों ही स्वास्थ्य और कल्याण के बेहतर अवसर प्रदान करने में मदद करेंगी। इस प्रकार, यह समय की मांग है कि विभिन्न चिकित्सा प्रणालियाँ प्रतिस्पर्धा न करें बल्कि एक दूसरे की पूरक हों। तभी हम अपने नागरिकों की भलाई सुनिश्चित कर सकते हैं और सभी के लिए स्वास्थ्य प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।”
उन्होने ने नए केंद्र के उद्घाटन पर भारत की विकास गाथा में व्यापक स्वास्थ्य सेवा के महत्व पर जोर दिया। उनके अनुसार, माननीय प्रधान मंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने अंततः अपने विकास की कहानी के साथ स्वास्थ्य को एकीकृत किया है, और निवासियों को अपने स्वास्थ्य के बारे में सूचित रहना चाहिए, जो बदले में धन सृजन के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “एक देश तभी विकसित हो सकता है जब उसकी आबादी स्वस्थ हो।” डॉ. मंडाविया ने अंतिम छोर तक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की सरकार की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की और कहा कि देश भर में 1.5 मिलियन से अधिक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (एबी-एचडब्ल्यूसी) अब स्वास्थ्य और कल्याण गतिविधियों की मेजबानी कर रहे हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार ने देश के सभी एम्स सहित सभी सरकारी चिकित्सा सुविधाओं में इस तरह के एकीकृत चिकित्सा केंद्र खोलने की योजना बनाई है। ऐसे केंद्रों की स्थापना के माध्यम से भारतीय प्रणाली और आधुनिक चिकित्सा के चिकित्सकों के सह-स्थान की शुरुआत करने से दोनों चिकित्सा प्रणालियों में सामंजस्य स्थापित करने और रोगियों को सहयोगी बहु-विषयक देखभाल प्रदान करने में मदद मिलेगी।