भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने तेलंगाना राज्य के भद्राद्री कोठागुडेम जिले के श्री सीता रामचंद्र स्वामीवरी देवस्थानम, भद्राचलम में ‘भद्राचलम मंदिरों के समूह में तीर्थयात्रा सुविधाओं का विकास’ परियोजना की आधारशिला रखी। उन्होंने राज्य के मुलुगु में ‘रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की तीर्थयात्रा और विरासत बुनियादी ढांचे के विकास’ नामक एक अन्य परियोजना की आधारशिला भी रखी। इन दोनों परियोजनाओं को भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय की PRASHAD (नेशनल मिशन ऑन पिलग्रिमेज रिजुवनेशन एंड स्पिरिचुअल हेरिटेज ऑग्मेंटेशन ड्राइव) योजना के तहत मंजूरी दी गई है।
सभा को संबोधित करते हुए, उन्होने ने कहा कि तेलंगाना के प्रसिद्ध मंदिरों में लाखों तीर्थयात्री आते हैं और वे घरेलू और विदेशी पर्यटकों के प्रमुख घटक हैं। उन्होंने कहा कि पर्यटन लोगों की आजीविका के अवसरों और आय को बढ़ाता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करता है। राष्ट्रपति ने ‘प्रसाद’ योजना के तहत तीर्थ स्थलों को विकसित करके आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय की सराहना की। वर्ष 2014-15 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य देश में तीर्थ और विरासत पर्यटन स्थलों को एकीकृत बुनियादी ढांचा विकास प्रदान करना है।
भद्राचलम का मंदिर, श्री सीता रामचंद्र स्वामीवरी देवस्थानम, 350 वर्ष से अधिक पुराना बताया जाता है और रामायण के महाकाव्य से निकटता से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने अपनी पत्नी देवी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपने 14 साल के वनवास का कुछ हिस्सा भद्राचलम मंदिर के पास दंडकारण्य वन के एक हिस्से परनासला नामक गांव में बिताया था। भद्राचलम मंदिरों के समूह, तेलंगाना में तीर्थयात्रा सुविधाओं का विकास’ परियोजना को पर्यटन मंत्रालय द्वारा 41.38 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से मंजूरी दी गई है। स्वीकृत घटकों में तीर्थयात्रा सुविधा केंद्र, पार्किंग क्षेत्र विकास, कल्याण मंडपम, स्ट्रीट-स्कैपिंग, स्मारिका की दुकानें, वर्षा और छाया आश्रय और रेलिंग, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों के लिए ई-बग्गी सुविधाएं जैसे बुनियादी हस्तक्षेप शामिल हैं।