केंद्रीय कपड़ा, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारतीय कपास निगम कपड़ा उद्योग और निर्यातकों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करेगा कि भारत के कपास किसानों को विश्व बाजार में उनका हक मिले। आज वाराणसी में कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) लिमिटेड और TEXPROCIL के बीच “कस्तूरी कॉटन इंडिया” की ब्रांडिंग, ट्रेसबिलिटी और प्रमाणन पर समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करने के दौरान।
कपड़ा उन्होने ने वाराणसी में काशी तमिल समागम के समापन दिवस पर मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए कहा कि इस सहयोग से कपास किसानों को लाभ होगा, जिन्हें ब्रांड निर्माण और गुणवत्ता आश्वासन के कारण उनकी उपज का वास्तविक मूल्य मिलेगा।
उन्होने ने कॉटन ग्रुप की तर्ज पर ‘मानव निर्मित फाइबर’ पर एक सलाहकार समूह बनाने की भी घोषणा की। पीएम के ‘संपूर्ण सरकार दृष्टिकोण’ और ‘सामूहिक हितधारक परामर्श’ के दृष्टिकोण की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि ये प्रयास कपड़ा क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में एक लंबा रास्ता तय करेंगे।
आज हस्ताक्षरित एमओयू की शर्तों के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होने ने कहा कि यह उद्योग को कपड़ा मंत्रालय के भारतीय कपास की ट्रेसबिलिटी, प्रमाणन और ब्रांडिंग की पूरी जिम्मेदारी लेते हुए स्व-नियमन के सिद्धांत पर काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार 2022-23 से 2024-25 तक तीन कपास सीजन की अवधि में 15 करोड़ रुपये के बराबर हिस्से का योगदान देगी।
यह तंत्र प्रत्येक चरण में “कस्तूरी कॉटन इंडिया” को मान्य करने के लिए मूल खेत स्तर, क्यूआर कोड आधारित प्रमाणन तकनीक से कपास की पूरी पहचान प्रदान करेगा और भारतीय कपास की अंतरराष्ट्रीय धारणा और मूल्यांकन को बढ़ाकर “कस्तूरी कॉटन इंडिया” को एक प्रीमियम ब्रांड के रूप में बढ़ावा देगा। यह भारतीय कपास को घरेलू और वैश्विक दोनों बाजारों में एक विश्वसनीय गुणवत्ता वाला उत्पाद बना देगा, जिससे प्रीमियम मूल्य निर्धारण की सुविधा होगी।