भारतीय सेना ने भारतीय ड्रोन संघ के सहयोग से 08 अगस्त, 2022 को ‘हिम ड्रोन-ए-थॉन’ कार्यक्रम शुरू किया है। रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता के अनुरूप इस पहल का उद्देश्य भारतीय ड्रोन परितंत्र को उत्प्रेरित करना और उसे केंद्रित अवसर प्रदान करना है ताकि अग्रिम पंक्ति के सैन्य-दल की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अग्रणी ड्रोन क्षमताओं का विकास किया जा सके।

स्वदेशी ड्रोन परितंत्र के लिए भारतीय सेना का समर्थन इस सिद्धांत पर आधारित है कि ‘स्वदेश में निर्मित उपलब्ध अच्छा’ ‘विश्व स्तर पर उपलब्ध सर्वोत्तम’ से बेहतर है। हालांकि, रक्षा बलों द्वारा मांग की गई प्रौद्योगिकी में क्रमिक वृद्धि से पहले से बेहतर और अधिक सक्षम ड्रोन उत्पादों के निर्माण को प्रोत्साहन मिलने की संभावना है।

‘हिम ड्रोन-ए-थॉन’ कार्यक्रम का पूरे भारत में उद्योग, शिक्षा जगत, सॉफ्टवेयर डेवलपर्स और ड्रोन उत्पाद निर्माताओं सहित सभी हितधारकों के बीच निरंतर जुड़ाव है। इसे मात्रात्मक मापदंडों (जैसे ऊंचाई, वजन, रेंज, स्थिरता आदि) के साथ कई चरणों में आयोजित किया जाएगा, जिसे प्रदर्शित क्षमताओं के आधार पर उत्तरोत्तर बढ़ाया जा रहा है। इसके लिए उपयोगकर्ताओं, विकास एजेंसियों, शिक्षाविदों आदि के बीच बातचीत और विचार को शामिल करते हुए व्यापक गतिविधियों की योजना बनाई गई है। इसमें उद्योग की प्रतिक्रिया, जमीनी परिप्रेक्ष्य और आवश्यकताओं को समझने के लिए विकास एजेंसियों द्वारा परिचालन स्थानों का दौरा, आंतरिक विकास और जमीनी परीक्षणों के लिए विकास एजेंसियों को साथ रखने, और ड्रोन उत्पादों के वास्तविक संचालन और मूल्यांकन का अनुसरण किया गया है।

प्रारंभिक बिंदु के रूप में, निम्नलिखित श्रेणियों में विकास शामिल हैं: –

o उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लॉजिस्टिक्स / वजन ले जाने वाला ड्रोन।

o स्वायत्त निगरानी / खोज एवं बचाव ड्रोन।

o निर्मित क्षेत्रों में लड़ने के लिए माइक्रो/नैनो ड्रोन।

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