पशुपालन और डेयरी विभाग राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) योजना के प्रारंभ से अब तक की प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं:
राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान (एआई) कार्यक्रम के कार्यान्वयन के तहत कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं किसानों के दरवाजे पर मुफ्त उपलब्ध कराई गई हैं। अब तक 3.50 करोड़ पशुओं को कवर किया जा चुका है, 4.33 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किया गया है और कार्यक्रम के तहत 2.28 करोड़ किसान लाभान्वित हुए हैं।
19 गोजातीय आईवीएफ/ईटीटी प्रयोगशालाओं को चालू कर दिया गया है और अब तक कार्यक्रम के तहत 14092 व्यवहार्य भ्रूणों का उत्पादन किया गया है जिनमें ज्यादातर स्वदेशी नस्लों का उत्पादन किया गया है, 6598 व्यवहार्य भ्रूणों को स्थानांतरित किया गया है और 1075 बछड़ों का जन्म हुआ है। सरकार ने आईवीएफ तकनीक का उपयोग करते हुए त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम शुरू किया है और कार्यक्रम के तहत अगले पांच वर्षों में 2 लाख आईवीएफ गर्भधारण की स्थापना की जाएगी। किसानों को प्रति सुनिश्चित गर्भावस्था 5000 रुपये की दर से सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी। बोवाइन आईवीएफ तकनीक अब किसानों के दरवाजे पर उपलब्ध है।
देश में 90% सटीकता तक केवल मादा बछड़ों के उत्पादन के लिए लिंग क्रमबद्ध वीर्य उत्पादन शुरू किया गया है। लिंग आधारित वीर्य का उपयोग न केवल दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए बल्कि आवारा पशुओं की आबादी को सीमित करने के लिए एक गेम चेंजर साबित होगा। 4 राजकीय वीर्य केन्द्रों पर लिंग क्रमित वीर्य उत्पादन सुविधा स्थापित की गई है तथा 3 निजी वीर्य केन्द्रों पर लिंग क्रमबद्ध वीर्य उत्पादन सुविधा भी उपलब्ध है। अब तक 44.37 लाख सेक्स्ड सीमेन डोज का उत्पादन किया जा चुका है।
सरकार ने लिंग क्रमबद्ध वीर्य का उपयोग करते हुए त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम शुरू किया है और इस कार्यक्रम के तहत 51 लाख गर्भधारण की स्थापना की जाएगी और सुनिश्चित गर्भावस्था पर छांटे गए वीर्य की लागत का 750 रुपये या 50% की सब्सिडी किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी।
वीर्य स्टेशनों पर उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए देश में 13 संतान परीक्षण (पीटी) और 7 वंशावली चयन कार्यक्रम लागू किए गए हैं। इस कार्यक्रम के तहत वीर्य उत्पादन के लिए मुख्य रूप से स्वदेशी नस्लों के 2401 उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों का उत्पादन और वीर्य स्टेशनों पर शामिल किया गया है।
किसानों के दरवाजे पर प्रजनन इनपुट देने के लिए अब तक ग्रामीण क्षेत्रों (मैत्री) में 29,218 बहुउद्देश्यीय कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों को शामिल किया गया है।
वैज्ञानिक और समग्र तरीके से देशी नस्लों के विकास और संरक्षण के लिए 16 गोकुल ग्राम और 2 राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केंद्र स्थापित किए गए हैं।